Friday, October 2, 2009

चीनी वीजा़ पर विवाद

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2009/10/091001_visa_china_kas_skj.shtml

इसमें तो कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि चीन ने ऐसा क्यों किया है | चीन हमेशा से भारत को खतरे के रूप में देखता रहा है और इसलिए भारत को कमजोर करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है | पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक, सैन्य एवं राजनयिक सहायता इस नीति का अहम् हिस्सा है | यह नया खेल राजनयिक सहायता का हिस्सा है |

यह बातें तो शायद सभी जानते हैं तो फिर मुझे लेख लिखने की क्या आवश्यकता है | पर इस विषय पर दो बातें लिखना चाहता हूँ | पहली बात : हमारी सरकार की प्रतिक्रिया पढ़कर हंसी आती है | बीबीसी हिंदी के लेख से "भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर बयान जारी किया है. उनका कहना है कि भारतीय नागरिकों के ख़िलाफ़ मूल निवास और नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और हमने अपनी चिंताओं से चीनी सरकार को आगाह कर दिया है." | अब आप ही बताईये जो व्यक्ति आपको नुकसान पहुंचाने के लिए हर साल अरबों डॉलर खर्च करता हो , हर दिन नए नए तरीके ढूंढ़ता हो उसको अपनी "चिंता से आगाह" करने से कोई फायदा है | भारत को भी शिनजियांग , होंग कोंग , गुआंग दोंग , फुजिआन के रहने वालों को अलग कागज़ पर वीसा जारी करने पर विचार करना चाहिए | कम से कम चीन को इस विषय पर धमकी दे कर यह अहसास दिलाने का प्रयास तो करना ही चाहिए कि अगर उनके साथ भी यही खेल खेला जाए तो उनको कैसा लगेगा | लेकिन हमारी राजशाही को देश की इतना चिंता होती तो देश में बहुत सी बातें अलग होती | पता नहीं यह दौर मुझे उस दौर जैसा क्यों लगता है जब ब्रिटिश धीरे धीरे एक एक प्रान्त/रियासत पर कब्जा करते चले गए और भोग विलास में डूबी उस समय की राजशाही को पता भी न लगा |

दूसरी बात : "लेकिन हर कश्मीरी एजाज़ की तरह किस्मत वाला नहीं है |" बीबीसी के प्रत्रकार द्वारा लिखा हुआ यह वाक्य परेशान करने वाला है | क्या बीबीसी के पत्रकार को इतनी भी समझ नहीं कि यह चीन का अपने स्वार्थसिद्धि के लिए एक खेल है और इस खेल में कश्मीर के लोगों का केवल इस्तेमाल किया जा रहा है | यह सही है कि कुछ कश्मीरियों को चीन के इस खेल से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन क्या उन्हें पता नहीं कि इसका विरोध नहीं किया गया तो भारत के लिए कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं | क्या उन्हें भारत से इतना भी लगाव नहीं कि वह कुछ लोगों की निजी परेशानियों से सहानुभूति जताने के साथ साथ भारत के हो रहे अहित को देखें और उसके बारें में भी लिखे , कम से कम उन यात्रियों को रोक कर भारत द्वारा किये जा रहे मामूली विरोध को गलत तो न बताएं | अगर भारत से उन्हें कोई लगाव नहीं तो क्यों वे भारतीयों की भाषा में लिख रहें हैं ? क्या बीबीसी हिंदी भी ब्रिटिश सरकार के किसी छुपे हुए राजनयिक एजेंडा का हिस्सा है जिसमें उसका लक्ष्य भारतीयों के मतभेदों को उभार कर उनमें फूट डालना है ? क्या बीबीसी हिंदी ब्रिटिश सरकार की 'फूट डालो और राज करो' की नीति का नया स्वरुप है ? क्या बीबीसी के पत्रकार जलियांवाला वाला बाग़ में गोली चलाने वाले उन भारतीय सिपाहियों के सामान है जिन्होंने एक अंग्रेज के कहने पर अपने ही लोगों पर गोलियाँ चलायीं ? मुझे यही आशा है (और इश्वर से प्रार्थना है ) कि यह सब बातें गलत निकले | लेकिन अगर सही निकलती है तो मुझे आश्चर्य भी न होगा |

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