Sunday, October 4, 2009

कुछ मेरी कुछ आपकी बात

http://www.bbc.co.uk/blogs/hindi/2009/10/post-34.html

सर्वप्रथम आपको बीबीसी हिंदी के प्रमुख का पदभार ग्रहण करने पर बधाई | मैं आपके इस कथन से पूरी तरह सहमत हूँ कि पत्रकारिका का लक्ष्य लोगों की समस्याओं को उजागर करना है | परन्तु मेरे विचार में उसे वहां पर रुककर अपने कार्य को सम्पन्न नहीं समझना चाहिए वरन समस्याओं का हल निकालने में भी सहायता करनी चाहिए | इसके लिए अगर पत्रकारों को राजनेताओं और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों से कठिन प्रश्न भी पूछना पड़े तो उससे उन्हें झिझकना नहीं चाहिए | लेकिन यह सब तभी संभव है जब आपको बीबीसी हिंदी की मातृ संस्थान बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से भी यही मेंडेट (आज्ञा - पत्र) मिला हो | इसलिए मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि आपको अपने बॉस से क्या मेंडेट मिला है ? क्योंकि आखिर में जो बीबीसी हिंदी चला रहा है उसका हित आपके लिए सर्वोपरि हो जाता है |

फिर भी आपने पूछा है तो मैं कहता हूँ कि मैं कैसी खबरें पढ़ना/सुनना पसंद करूँगा | बीबीसी हिंदी के रूप में आपके पास ऐसा मंच है जिसमें आप व्यवसायिक हितों से बाधित नहीं है | इसलिए मैं चाहूँगा की आप इस स्वतंत्रता का भरपूर फायदा उठायें और ऐसी खबरें को महत्व दें जिनका व्यवयसायिक मूल्य भले कम हो लेकिन जो देश की मूलभूत समस्याओं को उजागर करती हैं और जिनमें थोड़े से सुधार के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं | मिसाल के तौर पर बीबीसी हिंदी ने थोड़े दिनों पहले 'आओ स्कूल चले' के नाम से बहुत अच्छी श्रंखला प्रस्तुत की थी जिसमें कुछ सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को बखूबी उजागर किया गया था | भारत का मेनस्ट्रीम (मुख्यधारा) मीडिया ऐसी खबरें कभी नहीं छापेगा | उसे तो शाहरुख़ खान , राखी सावंत और सचिन तेंदुलकर के पीछे भागने से फुर्सत कहाँ है | इसी तरह शिक्षा, पर्यावरण, स्वछता, परिवहन से जुडी समस्याएँ , भ्रष्ट्राचार, सरकारी संसाधनों की बर्बादी से जुडी ख़बरों को अधिक महत्व दें | और जब नेताओं को अपने मंच पर लायें तो उनसे इन समस्याओं के बारें में कठिन सवाल पूछें | उनसे साफ़ साफ़ पूछें कि वे इन समस्याओं के समाधान के लिए क्या कर रहें है | संजीव श्रीवास्तव नेताओं को अपने मंच पर लातें तो हैं लेकिन उनसे बहुत ही आसान सवाल पूछ कर छोड़ देते हैं :) | व्यावसायिक मीडिया ऐसा करे तो समझ में आता हैं क्योंकि वे पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं करना चाहते पर आपको तो वो डर भी नहीं है | मुझे बहुत खुशी होगी अगर आप कपिल सिब्बल को अपने मंच पर बुलाएं और उन्हें 'आओ स्कूल चलें' की वो टेप्स सुनाएँ और उनसे पूछें कि वे बिहार और मध्य प्रदेश के उन सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए क्या कर रहें है | और मैं चाहूँगा कि आप इन समस्याओं पर काम कर रही गैर सरकारी संस्थाओं को और उनके अच्छे कार्यों को समय समय पर अपनी ख़बरों में जगह दें | इससे लोग उनके बारें में जानेगे और हो सकता है उनकी मदद में आगे भी आयें | लेकिन इससे भी ज्यादा जरुरी यह हैं कि आने वाली पीढ़ी शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या राय के साथ साथ प्रकाश आमटे, दीप जोशी, डॉक्टर चन्द्रा, संदीप पांडे को भी आपना आदर्श बनाये | मैं नहीं जानता कि यह सब करने से बीबीसी वर्ल्ड सर्विस और उसके मालिकों को क्या लाभ होगा लेकिन इतना कहूँगा कि अच्छे कर्मों का फल एक दिन अवश्य मिलता है |

मेरी यही कामना है कि इश्वर आपको आपके नए काम में भरपूर सफलता प्रदान करे और आपको बीबीसी हिंदी के माध्यम से उस परिवर्तन का अग्रदूत बनाये जिसकी इस देश को सख्त आवश्यकता है |

2 comments:

  1. वहां कमेन्ट मैंने भी किया है 'सागर' नाम से आप वो भी देखें... आप अगर उस बात को और आगे ले जाएँ तो बेहतर हो...

    ReplyDelete
  2. आपका सुझाव अच्छा है | औरों ने भी सुझाव दिया है कि बीबीसी हिंदी पाठकों के लेख भी प्रकाशित करें | दोनों ही सुझाव बहुत बढ़िया है | पत्रकारिता के छात्रों के लिए तो यह जरुरी भी है क्योंकि पत्रकारिता की नयी पीढी तैयार करना एक तरह से उनका कर्त्तव्य हैं | मैं अपनी तरफ से आपके सुझाव का समर्थन कर देता हूँ | पर मुझे उम्मीद कम है कि वे ये सुझाव मानेंगे | देखतें हैं |

    ReplyDelete