Sunday, August 16, 2009

जो सेलिब्रिटी नहीं हैं उनका क्या...

शाहरुख़ को नेवार्क हवाई अड्डे पर दो घंटे रोके जाने पर बीबीसी हिंदी ने पाठको की राय मांगी है कि "क्या शाहरुख़ को रोका जाना उचित था" |

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2009/08/090816_shahrukh_new_pp.shtml

http://newsforums.bbc.co.uk/ws/hi/thread.jspa?forumID=9612

मेरे विचार में उसका शीषर्क होना था "जो सेलिब्रिटी नहीं है उनका क्या ....." (जो कि राजेश प्रियदर्शी के एक ब्लॉग का शीर्षक था ,
http://www.bbc.co.uk/blogs/hindi/2009/08/post-17.html#commentsanchor , उसमे "रितेश" नाम से मेरी टिपण्णी भी छपी है )

भारत में दो तरह लोग रहते हैं , राजशाही और आम जनता | शाहरुख़ वर्षो पहले राजशाही के सदस्य बन चुके हैं और आम जनता की तरह पंक्ति में खड़े रह कर अपनी बारी का इंतजार करना भूल गए हैं | मैं स्वयं नेवार्क एअरपोर्ट से गुजर चूका हूँ और हमें भी कुछ कागजी कार्यवाही के लिए एक घंटे इंतजार करना पड़ा था | लेकिन वहां भेदभाव जैसा कुछ नहीं था | हर व्यक्ति से पूछताछ या कागजी कार्यवाही पूरी करने में उन्हें ५-१० मिनट का समय तो लगता ही है और अगर आपके सामने ८-१० लोग हो तो एक घंटे तक इंतजार करना पड़ ही सकता है | पिछले ८ वर्षो की हवाई यात्रा के अनुभव से कह सकता हूँ कि अगर आपका सामान आपका साथ नहीं हो और आपसे सावल न पूछे जाए तो यह बहुत अपवाद वाली बात होगी | मुझे लगता है कि शाहरुख़ से इसीलिए पूछताछ की गयी | १५ - २० घंटे सफ़र करने के बाद एक घंटे एअरपोर्ट पर बैठना बहुत ही कष्टदायक होता है | लेकिन भारत के आम आदमी को इससे बहुत परेशानी नहीं होती क्योंकि उसे तो सरकारी तंत्र के आगे मत्था टेकने और अपना गुस्सा पी जाने की आदत है | भगवान का शुक्र है कि कहीं तो भारत की राजशाही और आम आदमी एक पायदान पर खड़े होते हैं |

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